योनि का आक्षेप
Yoni Ka Apeksh
किसी-किसी युवती का योनि का मुख तंग होने के कारण उसे ढकने वाली झिल्ली में अनुभूति ज्यादा होती है इसलिए संगम-स्पर्श से ही योनि के चारों तरफ की पेशियां अचानक सिकुड़ जाती है और संभोगक्रिया नहीं हो पाती है। इसी को योनि का आक्षेप कहा जाता है। योनि के आक्षेप रोग में विभिन्न औषधियों का प्रयोग-
1. प्लम्बम- रोगी स्त्री की भग तथा योनि को छूते ही उसे परेशानियां पैदा हो जाना ऐसे लक्षणों में प्लम्बम औषधि की 6 शक्ति हर 4 घंटे के बाद सेवन करना लाभदायक रहता है।
2. इग्नेशिया- हिस्टीरिया रोग से ग्रस्त स्त्री को योनि में सूजन होने के कारण योनि का आक्षेप होने पर इग्नेशिया औषधि की 6, 30 या 200 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
3. साइलीशिया- स्त्री की योनि में किसी प्रकार के स्पर्श होने मात्र से ही परेशानी हो जाना, योनि में किसी प्रकार का दर्द होना, योनि के नीचे के भाग में भारीपन सा महसूस होना जैसे लक्षणों में साइलीशिया औषधि की 6x मात्रा या 30 शक्ति का सेवन करने से लाभ मिलता है।
4. स्टैफिसेग्रिया- अगर योनि के आक्षेप रोग में पुरुष के साथ संभोगक्रिया के समय दर्द सा महसूस होता हो तो उसे स्टैफिसैग्रिया औषधि की 30 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
5. बेलाडोना- नई-नवेली दुल्हन को संभोगक्रिया करने से डर लगने के कारण योनि का आक्षेप हो जाता है, योनि का रास्ता बहुत ज्यादा खुश्क होने के कारण संभोगक्रिया करने में परेशानी हो तो उसे बेलाडोना औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
योनि-भ्रंश होना :- स्त्रियों के गर्भाशय का अपने स्थान हट जाने के साथ ही साथ कभी-कभी योनि भी निकल पड़ती है। गुदा में सख्त मल जमा हो जाने या मूत्राशय के सूज जाने से योनि पर जो दबाव पड़ता है उससे योनि-भ्रंश कहते हैं। योनि-भ्रंश के रोग में विभिन्न औषधियों का प्रयोग-
1. सीपिया- रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता हो जैसे कि उसके पेट की सारी चीजें योनि में से बाहर निकल रही हो तो ऐसे लक्षणों में सीपिया औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
2. स्टैनम या क्रियासोट- स्टैनम या क्रियासोट दोनों ही औषधि योनि-भ्रंश के रोग में बहुत असरकारक मानी जाती है। अगर सख्म मल के कारण योनि-भ्रंश हुआ हो तो रोगी स्त्री को स्टैनम औषधि की 6 शक्ति देनी चाहिए। अगर योनि में बहुत तेज खुजली होती हो, यौन उत्तेजना तेज हो जाए तो क्रियोसोट औषधि की 6 शक्ति का सेवन किया जा सकता है।
3. आर्निका- अगर किसी तरह की चोट या संभोगक्रिया के कारण योनि-भ्रंश रोग हो जाता है तो ऐसे में रोगी स्त्री को आर्निका औषधि की 30 या 200 शक्ति लाभदायक रहती है।
4. ओसिमम-कैनम- अगर स्त्री को ऐसा महसूस होता हो कि योनि उसके भगद्वार से बाहर निकल रही हो तो ऐसे में रोगी स्त्री को ओसिमम-कैनम औषधि की 6 या 30 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
5. निमफिया-ओडोरेटा- निमफिया-ओडोरेटा औषधि गर्भाशय तथा योनि की सूजन, जख्म तथा स्थान-च्युति में बहुत ही असरकारक मानी जाती है। इस औषधि का रस या 6 शक्ति का सेवन किया जा सकता है।
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