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Pehli Baar Masik-Dharam hone me Deri "पहली बार मासिकस्राव होने में देरी" ka Homeopathy Upchar.

पहली बार मासिकस्राव होने में देरी 
Pehli Baar Masik-Dharam hone me Deri



परिचय- जब लड़कियों की जवानी प्रारम्भ होती है तो मासिकस्राव भी शुरू हो जाता है और यह महीने में एक बार अवश्य होता है, लड़कियों में पहली मासिकस्राव लगभग 12 से 14 वर्ष की उम्र से शुरू होता है और 44 या 46 वर्ष की उम्र तक हर महीने नियमित रूप से आता है। किसी-किसी लड़की के जवान हो जाने पर भी पहली बार ऋतु स्राव होने में अधिक देरी होती है या सिर्फ एक बार होकर वह बंद हो जाता है। दरसल ऐसा होने का सबसे प्रमुख कारण स्नायुविक कमजोरी या कोई रोग जिससे वह बहुत दिनों तक पीड़ित रहे और इसकी वजह से उसके शरीर में अधिक कमजोरी उत्पन्न हो जाने या शरीर में खून की अधिक कमी या योनि के मुंह की आवरक झिल्ली न फटने की वजह होता है। 


लक्षण :- इस रोग से पीड़ित लड़कियों में इस प्रकार के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं- कभी-कभी नाक से खून बहना, सिर भारी महसूस होना तथ दर्द होना, सांस लेने तथा छोड़ने में परेशानी महसूस होना, कमर तथा उरु में भार महसूस होना, पेट के तल में दर्द होना, छाती धड़कना आदि। लक्षाणों के आधार पर औषधियों से चिकित्सा :- किसी प्रकार की धातु-दोष के कारण से उत्पन्न मासिकधर्म से सम्बंधित तकलीफ:- ऐसी स्थिति में उपचार के लिए सल्फर की 30 शक्ति, फेरम की 6 शक्ति, लाइको की 12 शक्ति, सिपिया की 30 शक्ति, फास की 6 शक्ति या साइक्लामेन की 6 शक्ति का उपयोग करना अधिक लाभदायक होता है। टी.बी. (यक्ष्मा) के कारण से मासिकधर्म देर से शुरू होना :- ऐसे लक्षण उत्पन्न होने पर उपचार के लिए आयोड की 6 शक्ति, कैल्के-फास की 12x मात्रा चूर्ण, वैसिलिनम की 200 शक्ति का प्रयोग करें। शरीर में अधिक कमजोरी या खून की कमी के कारण मासिकधर्म देर से शुरू होना:- यदि किसी स्त्री में इस प्रकर के लक्षण हो तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए फेरम की 6 शक्ति, चायना की 6 शक्ति या नेट्रम-म्यूर की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। अजीर्ण रोग के कारण से मासिकधर्म देर से शुरू होना :- ऐसी स्थिति में उपचार के लिए लाइको की 12 शक्ति, पल्स की 6 शक्ति, नक्स की 6 शक्ति या सल्फर की 30 शक्ति का प्रयोग करना उचित होता है। मासिकधर्म ठीक समय पर शुरू न होने पर औषधियों से उपचार करने के साथ ही कुछ अन्य उपचार :- इस रोग से पीड़ित स्त्री को सर्दी तथा ठंड से बचना चाहिए तथा ठंडे पानी से स्नान नहीं करना चाहिए। अधिक पढ़ने-लिखने का कार्य न करें और आलस्य मत करें। गर्म मसाला या उत्तेजक खान-पान का उपयोग न करें। स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें।

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