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Masikdharam Band ho Jane ke samay ke kasht "मासिकस्राव बंद हो जाने के समय के कष्ट" ka Homeopathy Upchar.

मासिकस्राव बंद हो जाने के समय के कष्ट 

Masikdharam Band ho Jane ke samay ke kasht



परिचय- स्त्रियों में मासिकधर्म का कुल समय लगभग 32 वर्ष का होता है। यदि किसी स्त्री को 14 वर्ष की उम्र में मासिकधर्म शुरू हुआ हो तो उसका मासिकधर्म 44 या 45 वर्ष की आयु तक रह सकता है। यह समय कोई निश्चित नहीं होता है यह दो या एक वर्ष आगे-पीछे हो सकता है इसके बाद मासिकधर्म का आना बंद हो जाता है। इसको रजोनिवृत्ति कहते हैं। स्त्रियों के मासिकधर्म बंद हो जाने के बाद कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती है और जबतक सब कुछ ठीक से नहीं बैठ जाता तबतक कोई न कोई शिकायत बनी रहती है। मासिकधर्म बंद होने का समय उसके प्रारंभ होने पर निर्भर करता है। 


मासिकधर्म बंद होने पर कुछ परेशानियां उत्पन्न होती है जो इस प्रकार हैं- 

1. गर्मी की झलें (फ्लुसेस ऑफ हीट) 

2. रक्तस्राव (नर्वस आइरीटेबीलिटी) गर्मी की झलें :- रजोनिवृत्ति के समय में स्त्रियों को गर्मी की झले आती है यह बार-बार आती जाती रहती है तथा इससे कष्ट अधिक होता है, इस प्रकार का कष्ट अधिकतर सभी स्त्रियों को इस अवस्था में होती है। इस अवस्था में रोगी स्त्री को बैठे-बैठे अचानक पसीना आ जाता है, चेहरे पर तथा सिर में खून का दौरा महसूस होता है। किसी-किसी स्त्री को इस अवस्था में इन कष्टों से मानसिक-संतुलन बिगड़ जाता है। 

गर्मी के झलें उत्पन्न होने पर औषधियों से चिकित्सा :- 

1. लैकेसिस :- इस औषधि की 30 शक्ति से उपचार उन स्त्रियों का करते हैं जो रजोनिवृत्ति के बाद से वे ठीक ही नहीं हुई, कोई न कोई शिकायत बनी रहती है, दिन भर गर्मी की झलें आती रहती है और रात को बिस्तर पर सोते समय ठंड की झलें आने लगती हैं, चेहरा कभी-कभी एकदम लाल तथा गर्म हो जाता है, यह लाली कुछ देर बाद चेहरे पर हल्का पसीना आने के बाद गायब हो जाती है, पैर ठंडे पड़ जाते हैं तथा सिर में खून का बहाव अधिक हो जाता है। ऐसी स्त्री जब सोती है तो उसे कष्ट और भी अधिक होते हैं। 

2. सल्फर :- रजोनिवृत्ति के समय में यदि किसी स्त्री का चेहरा एकदम गर्म हो तथा इसके साथ ही हल्का पसीना आता हो और इसके बाद तबीयत ठीक हो जाती है, इसके साथ ही रोगी में इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- सिर तथा खोपड़ी पर गर्मी महसूस होना, पैर ठंडा महसूस होना, पेट में कमजोरी महसूस होना, दिन में 11 बजे से लगभग 12 बजे तक इस प्रकार की कमजोरी महसूस होना, यदि 11 से 12 बजे के बीच में लक्षण न भी हो तो भी अगर खोपड़ी पर गर्मी, ठंडे पैर तथा पेट में कमजोरी ये तीन लक्षण मौजूद हो तो उपचार के लिए सल्फर की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। 

3. इग्नेशिया :- रजोनिवृत्ति के समय में स्त्री को गर्मी के झलें होने के साथ ही स्नायविक कष्ट हो, कई अंग सुन्न पड़ गये हो जी ढहता सा (सिंकिंग सेंशन) महसूस होना या खो पड़ना, गले में एक गोला सा महसूस होना तथा कब्ज होना आदि ऐसी अवस्था में स्त्री के इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए इग्नेशिया औषधि की 200 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। 

4. सीपिया :- रजोनिवृत्ति के समय में यदि किसी स्त्री में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें जैसे- एकाएक गर्मी की झलें आना तथा इसके साथ ही चेहरा पर हल्का सा पसीना आ जाना, कमजोरी महसूस होना तथा बेहोशी आना, श्वेतप्रदर होना तथा कमर के नीचे की त्रिकास्थि (स्क्रुम) में दर्द होना, उदास रहना, घर के काम काज में मन न लगना, किसी की भी सहानुभूति पसंद न आना, ऐसी स्त्री का शरीर पतला-दुबला, लम्बी तथा ऊपर से नीचे तक एकसार तथा वह शीत प्रकृति की हो, अवसादमय हो और सहज में ही खिन्न हो जाती हो तो एसी स्त्री के इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए सिपिया औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराएं।


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