गर्भाशय की सूजन
Garbhashaya ki Sujan
1. ऑरम-म्यूरियैटिकम-नैट्रोनेटम- स्त्रियों की गर्भाशय की पुरानी सूजन में ऑरम-म्यूरियैटिकम-नैट्रोनेटम औषधि बहुत असरकारक मानी जाती है। ये औषधि स्त्री के जननांगों पर बहुत अच्छी क्रिया करती है। गर्भाशय की मुख पर किसी तरह का जख्म हो जाना और गर्भाशय का सूजकर विस्त-गव्हर तक फैल जाने पर इस औषधि का प्रयोग बहुत अच्छा रहता है। गर्भाशय का बहुत ज्यादा सख्त हो जाना, गर्भाशय की सूजन के कारण गर्भपात होने जैसे लक्षणों में इस औषधि की 3x मात्रा लाभदायक रहती है।
2. कॉलोफाइलम- स्त्री को पेट में भारीपन सा महसूस होता है जैसे कि उसके गर्भाशय में खून जमा हो गया हो ऐसी अवस्था में उसके लिए कॉलोफाइलम औषधि बहुत अच्छी होगी। ये औषधि गर्भाशय को मजबूती देती है। इसके अलावा उंगली, अंगूठे, कलाई आदि के जोड़ों में दर्द होने पर, मुट्ठी को बंद करने में दर्द जो थोड़ी-थोड़ी देर के बाद अपनी जगह बदलता रहता है। इस तरह के लक्षणों में इस औषधि की 3 शक्ति रोगी स्त्री को देनी चाहिए।
3. बैलाडोना- गर्भाशय में खून जमा होने के साथ ही रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है जैसे कि योनिद्वार में से सारे अन्दर के भाग बाहर निकल रहे हो, बदबूदार स्राव आता है, तलपेट में भारीपन सा रहता है, गर्भाशय का दर्द कमर तक पहुंच जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में बैलाडोना औषधि की 30 शक्ति लाभकारी रहती है।
4. कैलकेरिया-कार्ब- गर्भाशय की पुरानी सूजन के साथ स्त्रियों का मासिकस्राव बहुत जल्दी आ जाता हो और बहुत ज्यादा मात्रा में आता हो और काफी दिनों तक लगातार आता रहता हो, सिर पर बहुत ज्यादा पसीना आता हो आदि लक्षणों में कैलकेरिया-कार्ब औषधि की 6x मात्रा या 30 या 200 शक्ति का सेवन करना उचित रहता है।
5. जेल्सीमियम- स्त्रियों के गर्भाशय में खून जमा हो जाने तथासू जन आने के साथ ही मासिकस्राव में खून का कम आना, ये दर्द गर्भाशय से उठकर पीठ तथा नितंब के भाग में फैल जाता है। मासिकधर्म के समय गले का बैठ जाना, गले में दर्द होना आदि लक्षणों के आधार पर जेल्सीमियम औषधि की 3 या 30 शक्ति का प्रयोग करना अच्छा रहता है।
6. सैबाइना- स्त्री के गर्भपात के बाद गर्भाशय में सूजन तथा दर्द होना जो जरा सी हरकत से ही बढ़ जाता है, गर्भाशय का दर्द जांघों तक फैल जाता है। स्त्री का पहला मासिकस्राव समाप्त होने के बाद और दूसरा मासिकस्राव आने से पहले मासिकस्राव आना जैसे लक्षणों में सैबाइना औषधि की 3 या 30 शक्ति का सेवन करना फायदेमंद होता है।
7. वेरेट्रम-वीर- गर्भाशय में खून जमा होने के कारण तथा सूजन आने के कारण अगर रोगी स्त्री का ब्लड-प्रेशर बढ़ जाता है, बुखार आ जाता है, बेचैनी होने लगती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी स्त्री को वेरेट्रम-वीर औषधि की 6 शक्ति का सेवन करना अच्छा रहता है। सिस्टोलिक तथा डायोस्टोलिक दोनों ही तरह के ब्लड-प्रेशर को नीचे ले आती है।
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