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Yoni ki Ganth "योनि की गांठ " Complete Ayurvedic Health Tips, Ilaj on Mahila Rog in Hindi.

योनि की गांठ 
Yoni ki Ganth



कारण: योनि कन्द नामक रोग कई कारणों से होता है। योनि में गांठ का रोग दिन में सोने से, अत्यन्त गुस्सा व परिश्रम, ज्यादा मैथुन करने से, नाखून, दांत आदि के कारण चोट-जख्म और वातादि रोग से प्रदूषित होकर योनि कन्द की बीमारी पैदा हो जाती है। लक्षण: योनिकन्द में बड़हल की भांति योनि में रुधिर (खून) की गांठें (गिल्टी) पैदा हो जाती हैं। यदि योनि कन्द में जलन हो, लाली हो, बुखार पैदा हो तो वह पित्त से उत्पन्न मानी जाती है। यदि योनिकन्द तिल के फूल के समान हो और उसमें खुजली होती हो तो उसे कफ से उत्पन्न माना जाता है। इसी प्रकार यदि योनि कन्द में तीनों (वात, पित्त और कफ) के लक्षण मिलते हो तो उसे त्रिदोष (वात, कफ और पित्त) से उत्पन्न माना जाता है। 


विभिन्न औषधियों से उपचार- 


1. आंवला: आंवले (आमले) की गुठली, बायविंडग, हल्दी, रसौत और कायफल को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर योनि में रख लें, फिर त्रिफले के काढ़े में शहद डालकर योनि को धोने से योनि कन्द की बीमारी समाप्त हो जाती है। 


2. कायफल: कायफल, आम की गुठली, गेरू और हल्दी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर योनि में रखने से योनि कन्द की बीमारी समाप्त हो जाती है। 


3. तोरई: कड़वी तोरई के रस में दही का खट्टा पानी मिलाकर पीने से योनि कन्द के रोग में लाभ मिलता है। 


4. ढाक: ढाक, धाय के फूल, जामुन, लज्जालु, मोचरस और राल को मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण को योनि कन्द में लगाने से योनि से आने वाली बदबू और योनिकन्द रोग समाप्त हो जाता है। 


5. रस: सिरस के बीज, इलायची, समन्दर झाग, जायफल, बायविंडग और नागकेशर आदि को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर रूई की बत्ती बनाकर योनि में रखने से योनि की बीमारी समाप्त हो जाती है।


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