प्रसूता की सुरक्षा
Prasuta ki Suraksha
1. गोमची: सफेद गोमची और थोड़ी-सी कस्तूरी को गुड़ में रखकर प्रसूता (बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री) को खिला देने से बच्चे का जन्म आराम से व बिना तकलीफ के हो जाता है। यह जल्द असरकारक होता है। ध्यान रहें कि इस औषधि का सेवन दिन में एक बार खुराक के रूप में ही करें। प्रसव के बाद का बाय गोला- सुदन जाल: सुदन जाल और बकदर 4-4 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें। 50 मिलीलीटर बचने पर छानकर हफ्ते भर सुबह-शाम लें। कुंआरीआव: कुंआरीआव 4 चम्मच पानी मिलाकर भोजन के बाद दोनों समय दें। जापाः (प्रसव के बाद पेट का बढ़ना)
2. कालीमिर्च: कालीमिर्च, पीपल, पिपलामूल, बच, चीता, छबीला, नागरमोथा, वायविडंग, देवदारू, त्रिफला, कूट, मुर्मुकी, सौंफ, गजपीपल, इन्द्रजौ 5-5 ग्राम की मात्रा में तथा निसोथ 15 ग्राम को एक साथ बारीक पीसकर पुराने गुड़ में मिलाकर मटर के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 गोली सुबह पानी से 15-20 दिन तक लें। प्रसूता के ज्वर खांसी-
3. कायफल: कायफल 10 ग्राम कूट छानकर आधा से 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी से लगातार लें।
4. त्रिफला: त्रिफला के काढ़े को कपड़े में छानकर इसकी योनि में सुबह-शाम पिचकारी देने से गर्भाशय का मल निकलकर शुद्ध हो जाता है।
5. पीपल: पीपल के पके फल को छाया में सुखाकर कूट छानकर रख लें। फिर इसमें बराबर मात्रा में खांड मिला लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट पानी के साथ लेने से प्रसूता प्रदर ठीक हो जायेगा।
0 Comments