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Jarayu - Garbhashaya Ke Rog "जरायु - गर्भाशय के रोग" Complete Ayurvedic Health Tips, Ilaj on Mahila Rog in Hindi.

 जरायु - गर्भाशय के रोग 
Jarayu - Garbhashaya Ke Rog



परिचय: इसमें कई तरह के रोग होते हैं। जैसे गर्भाशय का मुंह बंद होना, ट्यूमर होना, गर्भाशय का ढीला होना, गर्भाशय का बाहर आ जाना और गर्भाशय से खून का अधिक मात्रा में निकलना आदि रोग होते हैं। 

 

विभिन्न औषधियों से उपचार- 


1. कपूर: गर्भाशय में पीड़ा (दर्द) चाहे कष्टरज (मासिकस्राव का कष्ट के साथ आना) के कारण हो या किसी अन्य कारण से हो तो कपूर (कर्पूर) लगभग एक चौथाई ग्राम सुबह-शाम देने से रोगी को लाभ मिलता है। नोट: इसे प्रसूता स्त्री को नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे दूध कम हो जाता है। 


2. गुग्गुल: पुराने से पुराने गर्भाशय की सूजन में गुग्गुल लगभग एक चौथाई ग्राम से एक ग्राम सुबह-शाम गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए। जब तक सुधार न हो तब मात्र 4 से 6 घंटे के अंतर पर ही देते रहना चाहिए। 


3. तेजपत्ता: गर्भाशय की शिथिलता (ढीलापन) को दूर करने के लिए तेजपत्ते का प्रयोग करना चाहिए। इसे 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से शिथिलता (ढीलापन) दूर हो जाती है। यदि गर्भाशय के शिथिलता (ढीलापन) के कारण गर्भ स्थिर न रहा हो तो इसके सेवन से शिथिलता दूर होकर गर्भाधान की क्षमता प्राप्त होती है। 


4. केसर: गर्भाशय की पीड़ा में केशर की गोली बनाकर योनि के अन्दर रखनी चाहिए। इससे गर्भाशय का दर्द समाप्त जाता है। गम्भारी फल की मज्जा और मुलेठी को गर्म दूध के साथ 250 ग्राम की मात्रा में रोगी को सुबह-शाम देने से गर्भाशय पुष्ट हो जाता है। इसे कुछ दिनों तक लगातार सेवन करना चाहिए। 


5. कोरैया (कूड़ा): प्रसव के बाद योनिमार्ग (गर्भाशय का मुख मार्ग आदि) की शिथिलता को दूर करने के लिए कोरैया (कूड़ा) की छाल का काढ़ा 10 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। 


6. अशोक: जरायु (गर्भाशय) के किसी भी दोष में अशोक की छाल का चूर्ण 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह क्षीरपाक विधि (दूध में गर्म कर) सेवन करने से अवश्य ही लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय के साथ-साथ अण्डाशय भी शुद्ध और शक्तिशाली हो जाता है। 


7. केली (केलि): जरायु (गर्भाशय) के किसी भी रोग में केली की स्तम्भ (तना) का रस 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। 


8. हीराबोल (बोल): जरायु (गर्भाशय) की शिथिलता (ढ़ीलापन) में हीराबोल (बोल) एक चौथाई ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। 


9. ऊदसलीब (मामेख): जरायु (गर्भाशय) सम्बन्धी किसी भी प्रकार के कष्ट में चाहे वह मासिकस्राव हो या प्रदर सम्बंधी हो अथवा किसी तरह का दर्द या जलन हो तो-मामेख का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर देने से काफी लाभ मिलता है। इसकी जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सेवन करने से लाभ होता है। 


10. दरुनजअकरबी: जरायु (गर्भाशय) के दर्द में दरुनजअकरबी की जड़ लगभग एक चौथाई ग्राम से आधा ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।


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