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Gulma vayu - Hysteria Rog "गुल्म वायु - हिस्टीरिया रोग" Complete Ayurvedic Health Tips, Ilaj on Mahila Rog in Hindi.

गुल्म वायु  - हिस्टीरिया रोग 
Gulma vayu - Hysteria Rog



परिचय: यह रोग केवल महिलाओं में ही होता है। गुल्मवायु रोग में स्त्रियों को मिर्गी के समान ही दौरे आते हैं। जब हिस्टीरिया होता है, तो इसमें रोगी अचेत अवस्था में पहुंच जाता है। इसमें रोगी विभिन्न प्रकार की कुचेष्टायें यानी अजीब कार्य करने लगता है। इस रोग में रोगी चिल्लाने लगता है और कोई-कोई रोगी इसमें मौन या चुप भी पड़ा रहता है। कारण: यह रोग जरायु में विकार या स्नायुविक कमजोरी के कारण होता है। इसके अलावा प्रेम में असफलता, मानसिक दु:ख और किसी दुख का गहरा आघात होने से भी यह रोग हो जाता है। किसी तरह के अपने मनोभावों को व्यक्त न कर पाने के कारण भी यह गुल्मवायु या हिस्टीरिया रोग हो जाता है। लक्षण: इस बीमारी में रोगी स्त्री कभी रोती है, कभी हंसती है और कभी चीख के साथ जमीन पर गिर जाती है। इस रोग में पूरी तरह से बेहोश नहीं होती है। बेहोशी की हालत समाप्त हो जाने पर स्त्री को खुलकर पेशाब आता है। इस रोग की उत्पत्ति से पूर्व या आरम्भ में हृदय में पीड़ा, जंभाई, बेचैनी आदि लक्षण भी होते हैं। इसमें पसली में दर्द, पेट में गोला सा उठकर गले तक जाना, सिर में दर्द होना, दम घुटना, थकावट, गर्दन का अकड़ना, पेट में अफारा होना, डकारों का अधिक आना और हृदय की धड़कन बढ़ जाना आदि हिस्टीरिया के लक्षण हैं। 


विभिन्न औषधियों से उपचार- 


1. शहद: शहद या दूध के साथ लगभग आधा ग्राम घोर बच (बच) को रोजाना रोगी को देते रहने से हिस्टीरिया रोग खत्म हो जाता है। ध्यान रहें कि इसे अधिक मात्रा में नहीं देना चाहिए अन्यथा उल्टी और सिर दर्द हो सकता है। लगभग 10 ग्राम शहद या केले के फल के रस के साथ ऊंट कटारा की जड़ का सेवन करने से हिस्टीरिया रोग ठीक हो जाता है। 


2. हल्दी: हल्दी का धुंआ हिस्टीरिया का दौरा आने पर रोगी को सुंघाने से यह दौरा खत्म हो जाता है। 


3. तगर (सुगन्धवाला): लगभग आधा से एक ग्राम तगर के चूर्ण को खाने से हिस्टीरिया में बहुत लाभ मिलता है। 


4. पीपल: पीपल के वृक्ष की जटा (दाड़ी) के चूर्ण को 3 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम को देने से हिस्टीरिया में बहुत ज्यादा लाभ मिलता है। 


5. कपूर: लगभग 28 मिलीलीटर कपूर कचरी के बारीक चूर्ण का घोल सुबह-शाम को रोगी को खिलाने से हिस्टीरिया में बहुत लाभ मिलता है। 


6. महानिम्ब (बकायन): महानिम्ब के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम रोगी को देने से हिस्टीरिया रोग खत्म हो जाता है। 


7. सहजना (मुनगा): सहजना की जड़ की छाल के काढ़े को हींग और सेंधानमक के साथ मिलाकर खाने से हिस्टीरिया में बहुत लाभ होता है। सहजना (मुनगा) के जड़ की छाल को सन्तरे के छिलके एवं जायफल को मिलाकर बनाया गये रस को 10 से 15 बूंद रोज़ाना 3 बार देने से हिस्टीरिया ठीक हो जाती है। 


8. भोजपत्र: लगभग 20 से 40 मिलीलीटर भोजपत्र के वृक्ष की छाल का काढ़ा को रोजाना दिन में 2 बार खुराक के रूप में देने से हिस्टीरिया ठीक हो जाती है। 


9. केला: लगभग 10 से 20 मिलीलीटर केले के फल का रस सुबह और शाम को हिस्टीरिया के रोगी को देने से इस रोग के अलावा मिर्गी के समान आने वाले दौरे भी ठीक हो जाते हैं। 


10. कलम्बी (करमी): कलम्बी (करमी) का साग स्त्रियों के लिये शारीरिक और तन्त्रिकीय खराबी को दूर करने के अलावा स्नायुतंत्र सम्बन्धी बीमारी जैसे मिर्गी, गुल्मवायु, पक्षाघात (लकवा) और कमर दर्द सभी में लाभकारी सिद्ध होता है। इसे प्रसूता (बच्चे को जन्म देने वाली महिला) में स्त्रियों को खिलाने से उनके दुग्ध में भी वृद्धि करता है। 


11. ऊदसलीब (मामेख): लगभग 20 से 40 मिलीलीटर ऊदसलीब (मामेख) की जड़ का काढ़ा सुबह-शाम रोगी को खिलाने से हिस्टीरिया रोग ठीक हो जाता है। 


12. बाबूना: लगभग 30 से 40 ग्राम बाबूना के फूलों को हिस्टीरिया के रोगी को देने से यह रोग ठीक हो जाता है। 


13. सुद्धाव (सिताव): सुद्वाव (सिताव) के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) की फांट या घोल लगभग 40 से 80 मिलीलीटर या इसका तेल 10 बूंद से 15 बूंद बताशे या चीनी पर डालकर सुबह-शाम को नियमित रूप से खिलाने से हिस्टीरिया रोग ठीक हो जाता है। 


14. हरमल: लगभग 20 से 40 ग्राम हरमल के बीजों का चूर्ण खाने से हिस्टीरिया नामक रोग नष्ट हो जाता है। 


15. नौसादर: नौसादर और चूने को बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में अच्छी तरह से बंद करके रख दें और जब हिस्टीरिया या सिरदर्द हो या बेहोशी हो तो शीशी को खोलकर उसकी गैस सुंघा दें, इससे तुरंत ही लाभ मिलता है।


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