गर्भावस्था में दस्त होने पर
Garbhvastha me Dast hone par
होमेओपेथी से इलाज
1. एलो- गर्भवती स्त्री जैसे ही कुछ खाती या पीती है उसको तुंरत ही दस्त हो जाते हैं। रोगी स्त्री को पता ही नहीं चलता कि उसको मलद्वार में से हवा के साथ कब मल निकल गया है। रोगी स्त्री को बिस्तर में ही मलत्याग हो जाता है लेकिन इसका पता नहीं चलता कि कब और कैसे हुआ। इस तरह के लक्षणों में रोगी स्त्री को एलो औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
2. पोडोफाइलम- पोडोफाइलम औषधि गर्भावस्था के बहुत सारे रोगों में लाभकारी है। रोगी स्त्री को पानी के जैसे, आंव मिले हुए, बहुत ज्यादा मात्रा में और बिना दर्द के दस्त आते हैं जैसे कि हैजे के रोग में दस्त हो जाते हैं। अगर दस्त का रोग काफी पुराना हो गया हो तो उस समय भी ये औषधि लाभकारी रहती है। अगर कब्ज का रोग और दस्त एक के बाद एक आते हो तब भी पोडोफाइलम औषधि की 6 शक्ति का सेवन करना लाभदायक होता है।
3. मर्क-सोल- गर्भवती स्त्री को मल के साथ आंव (मल के साथ आने वाला सफेद रंग का चिकना पदार्थ) आता है या कभी-कभार खून भी आ जाता है। कभी मल में आंव ज्यादा आता हो या कभी खून ज्यादा आता हो तो ऐसे लक्षणो में मर्क-सोल औषधि की 30 या 200 शक्ति उपयोगी साबित होती है। मलक्रिया के दौरान रोगी बैठा ही रहता है कि अभी और मल आएगा। इस प्रकार के लक्षणों में रोगी स्त्री को मर्क-सोल औषधि की 30 या 200 शक्ति अच्छी रहती है।
4. कोलिन्सोनिया- कोलिन्सोनिया औषधि का रस या 3 शक्ति गर्भवती स्त्री को होने वाले कब्ज के रोग में बहुत लाभकारी है।
5. इपिकाक- इपिकाक औषधि जी मिचलाना और उल्टी आने पर बहुत ही अच्छा असर करती है। गर्भवती स्त्री को उल्टी आने के काफी देर के बाद भी जी मिचलाता रहता है। उल्टी हो जाने के बाद भी उसे ऐसा महसूस होता है जैसे कि दुबारा उल्टी होने वाली है। रोगी स्त्री का पेट ढीला होकर बिल्कुल नीचे की ओर लटक जाता है। भोजन को देखते ही उसका जी खराब हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में अगर रोगी स्त्री को इपिकाक औषधि की 30 या 200 शक्ति देनी चाहिए।
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