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Garbhashaya ki Sujan "गर्भाशय की सूजन" Complete Ayurvedic Health Tips, Ilaj on Mahila Rog in Hindi.

गर्भाशय की सूजन 
Swelling of the Uterus



परिचय -गर्भाशय की सूजन हो जाने पर स्त्रियों को हल्का बुखार रहता है तथा इस रोग के कारण उनके गर्भाशय में सूजन भी हो जाती है। इस रोग के कारण अनेक प्रकार के रोग स्त्रियों को हो जाते हैं जो इस प्रकार हैं- सिर में दर्द, भूख न लगना, कमर तथा पेट के निचले भाग में दर्द और योनि के भाग में खुजली होना आदि। लक्षण गर्भाशय की सूजन होने पर महिला को पेडू में दर्द और जलन होना सामान्य लक्षण हैं, किसी-किसी को दस्त भी लग सकते हैं तो किसी को दस्त की हाजत जैसी प्रतीत होती है किन्तु दस्त नहीं होता है। किसी को बार-बार मूत्र त्यागने की इच्छा होती है। किसी को बुखार और बुखार के साथ खांसी भी हो जाती है। यदि इस रोग की उत्पन्न होने का कारण शीत लगना हो तो इससे बुखार की तीव्रता बढ़ जाती है। कारण भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है। पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय में सूजन हो जाती है। अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है। पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है। औषधियों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है। 

आयुर्वेद से इलाज 

1. नीम: नीम, सम्भालू के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर योनि मार्ग (जननांग) में लगाने से गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है। 

2. पानी: गर्भाशय की सूजन होने पर पेडू़ (नाभि) पर गर्म पानी की बोतल को रखने से लाभ मिलता है। 3. हल्दी: शुद्ध हल्दी, भुना हुआ सुहागा सभी को मकोय के ताजे रस में मिलाकर रूई के फाये को योनि में रखने से गर्भाशय की सूजन समाप्त हो जाती है। 

घरेलू इलाज 

1. बादाम: बादाम रोगन एक चम्मच, शर्बत बनफ्सा 3 चम्मच और खाण्ड पानी में मिलाकर सुबह के समय पीएं तथा बादाम रोगन का एक फोया गर्भाशय के मुंह पर रखें इससे गर्मी के कारण उत्पन्न गर्भाशय की सूजन ठीक हो जाती है। 

2. चिरायता: चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है। 

3. बाबूना: बाबूना, गुलकन्द और अफतिमून को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर 300 ग्राम पानी में उबालें जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर पी लें। बाबूना को पानी में पीसकर एरण्ड के तेल में मिलाकर पेडू़ और योनि पर लेप करें। इससे गर्भाशय की सूजन ठीक हो जाती है। 

4. रेवन्दचीनी: रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है। 


होमेओपेथी से इलाज 

1. ऑरम-म्यूरियैटिकम-नैट्रोनेटम- स्त्रियों की गर्भाशय की पुरानी सूजन में ऑरम-म्यूरियैटिकम-नैट्रोनेटम औषधि बहुत असरकारक मानी जाती है। ये औषधि स्त्री के जननांगों पर बहुत अच्छी क्रिया करती है। गर्भाशय की मुख पर किसी तरह का जख्म हो जाना और गर्भाशय का सूजकर विस्त-गव्हर तक फैल जाने पर इस औषधि का प्रयोग बहुत अच्छा रहता है। गर्भाशय का बहुत ज्यादा सख्त हो जाना, गर्भाशय की सूजन के कारण गर्भपात होने जैसे लक्षणों में इस औषधि की 3x मात्रा लाभदायक रहती है। 

2. कॉलोफाइलम- स्त्री को पेट में भारीपन सा महसूस होता है जैसे कि उसके गर्भाशय में खून जमा हो गया हो ऐसी अवस्था में उसके लिए कॉलोफाइलम औषधि बहुत अच्छी होगी। ये औषधि गर्भाशय को मजबूती देती है। इसके अलावा उंगली, अंगूठे, कलाई आदि के जोड़ों में दर्द होने पर, मुट्ठी को बंद करने में दर्द जो थोड़ी-थोड़ी देर के बाद अपनी जगह बदलता रहता है। इस तरह के लक्षणों में इस औषधि की 3 शक्ति रोगी स्त्री को देनी चाहिए। नेचरोपैथी से इलाज गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री रोगी को चार से पांच दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए, फिर इसके बाद बिना पका संतुलित आहार लेना चाहिए। गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को कभी भी नमक, मिर्चमसाला वाला, तली भुनी चीजें तथा मिठाईयां आदि नहीं खानी चाहिए। गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री के पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। इसके बाद एनिमा देनी चाहिए और फिर गर्म कटिस्नान कराना चाहिए। इसके बाद टब में नमक डालकर पन्द्रह से बीस मिनट तक स्त्री को इसमें बैठाना चाहिए।


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