गर्भाशय में बच्चे का मरना
Death of the baby in the womb
परिचय:- कभी-कभी किसी शारीरिक रोगों तथा मानसिक कारणों के परिणामस्वरूप गर्भवती स्त्रियों के पेट में बच्चा मर जाता है या पेट में किसी प्रकार से चोट लग जाने के कारण से भी गर्भवती स्त्रियों के पेट में बच्चा मर जाता है। पेट में बच्चे की मरने की पहचान जब पेट में बच्चा मर जाता है तो बच्चा गर्भवती स्त्रियों के पेट में हिलता डुलता नहीं है, स्त्रियों को प्रसव-पीड़ा (बच्चे को जन्म देते समय का दर्द) होना बंद हो जाता है, गर्भवती स्त्रियों के शरीर का रंग हरा-नीला पड़ जाता है, स्त्रियों के पेट में सूजन हो जाती है तथा स्त्रियों की सांस से मुर्दे जैसी बदबू (गन्ध) आने लगती है।
आयुर्वेद से इलाज
1. गाय का गोबर: गाय के गोबर का रस 75 मिलीलीटर और गाय के 50 मिलीलीटर कच्चे दूध को मिलाकर पिलाने से गर्भ में मरे हुए बच्चे से उत्पन्न दोष (विकार) नष्ट हो जाते हैं।
2. घोड़े की सूखी लीद: घोड़े की सूखी लीद की धूनी योनि में देने से गर्भ में मरे हुए बच्चे से उत्पन्न दोष (विकार) नष्ट हो जाते हैं।
3. सांप की केंचुली: सांप की केचुली को जलाकर उसकी धूनी योनि में देने से गर्भ में मरे हुए बच्चे से उत्पन्न दोष (विकार) नष्ट हो जाते हैं।
4. गाजर: गाजर के बीजों की धूनी को योनि में देने से गर्भ में मरे हुए बच्चे से उत्पन्न दोष (विकार) नष्ट हो जाते हैं।
5. कलिहारी बूटी: कलिहारी बूटी की जड़ उबालकर छान लें। इसके बाद हल्के से गर्म पानी से ही स्त्री को अपना हाथ, पैर और गला धो देना चाहिए। इससे गर्भ में मरे हुए बच्चे से उत्पन्न दोष (विकार) नष्ट हो जाते हैं।
6. दालचीनी: कमजोर गर्भाशय के कारण बार-बार गर्भस्राव होता रहता है। गर्भधारण से कुछ महीने पहले दालचीनी और शहद समान मात्रा में मिलाकर एक चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से गर्भाशय मजबूत हो जाएगा।
7. राई: राई और हींग का तीन ग्राम चूर्ण स्टार्च (कांजी) के साथ खिलाने से मृतगर्भ (गर्भ में मरा हुआ बच्चा) बाहर निकल जाता है। नेचरोपैथी से इलाज गर्भवती स्त्री के पेट में बच्चा मरने की पहचान हो जाए तो सबसे पहले स्त्री को चारपाई पर लिटाकर उसका हिलना-डुलना बंद कर देना चाहिए। इस रोग से पीड़ित स्त्री के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए या फिर उसके पेट पर ठंडे पानी से भीगी कपड़े की पट्टी करनी चाहिए। स्त्री के पेट पर पट्टी करते समय बीच-बीच में ठण्डा पानी पिलाना चाहिए।
सांप की केंचुली को आग में जलाकर उसकी राख को शुद्ध शहद में मिलाकर काजल बना लें। फिर इसके बाद इस काजल को गर्भवती स्त्री की आंखों में लगाने से, यदि बच्चा जीवित होता है तो वह योनिद्वार से बाहर आ जाता है।
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