गर्भ निरोध
Prevention of conception
परिचय- इस बढ़ती आबादी के युग में जितना आवश्यक है संतान होना, उतना ही आवश्यक है, एक या दो संतान के बाद गर्भनिरोध। कुछ लोग गर्भनिरोध को पाप मानते हैं परन्तु नैतिक, आर्थिक, सामाजिक और व्यवहारिक दृष्टि से गर्भनिरोध पाप नहीं बल्कि धर्म होता है।
आयुर्वेद से इलाज
1. हरड़: हरड़ की मींगी (बीज, गुठली) 40 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे तीन दिनों तक सेवन करने से गर्भ ठहरने की संभावना बिल्कुल समाप्त हो जाती है।
2. पान: पान का रस और शहद बराबर मिलाकर संभोग करने से कुछ देर पहले योनि में रखने से और पान की जड़ को कालीमिर्च के साथ बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गर्भधारण नहीं होता है।
3. नीम: नीम के शुद्ध तेल में रूई का फोहा तर करके सहवास (संभोग) करने से पहले योनि के भीतर रखने से शुक्राणु (बच्चा पैदा करने वाले जीवाणु) एक घंटे के भीतर ही मर जाते हैं और गर्भ नहीं ठहरता है। लगभग 10 ग्राम नीम के गोंद को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर कपड़े से किसी कपडे़ से छान लें, उसमें लगभग 30 सेंटीमीटर लंबा और 30 सेंटीमीटर चौड़ा साफ मलमल के कपड़े को भिगोकर छाया में सुखा लें, इसके सूखने पर एक रुपये के सिक्के के बराबर गोल-गोल टुकड़े अन्दर डाल लें, इससे गर्भ नहीं रुकता है। इसे एक घंटे बाद निकालकर फेंक देना चाहिए।
4. बायबिडंग: बायबिडंग के फल का पाउडर और पिप्पली का पाउडर बराबर मिलाकर मासिक-धर्म शुरू होने के 5 वें दिन से 20 वें दिन तक 1 चम्मच सुबह-शाम खायें इससे लाभ होता है।
5. पलास: पलास के बीजों को जलाकर हींग में मिलाकर चूर्ण बनाकर दो से तीन ग्राम तक की मात्रा में ऋतुस्राव (माहवारी) प्रारंभ होते ही और उसके कुछ दिन बाद तक सेवन करने से स्त्री की गर्भधारण शक्ति खत्म हो जाती है। पलास के बीज 10 ग्राम, शहद 20 ग्राम और घी 10 ग्राम सबको मिलाकर रूई को भिगोकर बत्ती बनाकर स्त्री-प्रसंग से तीन घण्टे पूर्व योनि में रखने से गर्भधारण नहीं होता है। पलास की छाल 10 ग्राम को 20 ग्राम गुड़ के साथ उबालकर पीने से गर्भनिरोध होता है। पलास के फल का बारीक चूर्ण शहद और घी से के साथ मिलाकर योनि में रखने से गर्भधारण नहीं होता है।
6. पीपल: पीपल, बायबिडंग तथा सुहागा तीनों को समान मात्रा में लेकर पीस-छानकर चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण को मासिकस्राव के दिनों में तैयार कर लेना चाहिए। ऋतु स्नान (माहवारी समाप्ति) के बाद स्त्रियों को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन गर्म दूध के साथ सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता है।
7. ढाक: ढाक के बीजों की राख को ठंडे पानी के साथ स्त्रियों को पिलाने से गर्भ नहीं ठहरता है।
8. नौसादर: नौसादर तथा फिटकरी बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर योनि में रखने से स्त्री बांझ हो जाती है।
9. नमक: यदि पुरुष अपने लिंग (जननांग) में नमक व तिल के तेल को चुपड़कर स्त्री के साथ संभोग करें तो गर्भधारण नहीं होता है।
10. करेला: करेला के रस का सेवन करने से भी गर्भ नहीं ठहरता है।
निम्न तरीकों द्वारा गर्भ को ठहरने से रोकना गर्भ को रोकने वाली गोलियां-
2. अगर स्त्री किसी दिन गोली लेना भूल जाती है तो दूसरे दिन 2 गोली ले लेनी चाहिए।
कंडोम-
1. संभोगक्रिया के दौरान पुरूषों को कंडोम का उपयोग करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि उसमे किसी तरह का छिद्र तो नहीं है।
2. कंडोम को लिंग पर तभी चढ़ाना चाहिए जब कि लिंग अपने पूरी उत्तेजित अवस्था में पहुंच जाए और लिंग की उत्तेजना समाप्त होने से पहले ही कंडोम उतार देना चाहिए। स्पंज- संभोग क्रिया की समाप्ति के बाद कम से कम 8 घंटे तक स्पंज को स्त्री की योनि में रखना चाहिए इसके साथ ही संभोगक्रिया से 8 घंटे पहले शुक्राणुनाशी औषधि का उपयोग करना चाहिए।
डायफ्राम झिल्ली- 1. डायफ्राम को स्त्री की योनि में प्रवेश कराने से पहले 1 चम्मच शुक्राणुनाशी क्रीम को डायफ्राम के ऊपरी हिस्से में डालें और इसके किनारों पर भी लगा दें। डायफ्राम को योनि के अंदर प्रवेश कराने के बाद उसके सही होने की जांच करें।
2. संभोगक्रिया के लगभग 8 घंटे के बाद तक इसे स्त्री की योनि में ही रहने दें और फिर निकाल लें।
3. अगर 8 घंटे से पहले दुबारा संभोग करने की इच्छा हो तो डायफ्राम को निकाले बिना योनि में शुक्राणुनाशी क्रीम आदि डाल दें। डायफ्राम से हानि- डायफ्राम के प्रयोग से कभी-कभी स्त्री को बहुत ज्यादा रक्तस्राव भी हो जाता है और पेट में मरोड़ भी हो सकते हैं। कॉपर-टी- कॉपर-टी गर्भ को रोकने का एक टी के आकार का साधन होता है जो पुरुषों के अण्डों को गर्भाशय में पहुंचने से बचाता है। कॉपर-टी के बारे में जानकारी- कॉपर-टी को किसी योग्य चिकित्सा के द्वारा ही स्त्री की योनि में प्रवेश कराना चाहिए। इसके प्रयोग से कभी-कभी स्त्री को पेट का दर्द या रक्तस्राव भी हो सकता है। मेडरोक्सी प्रोजेस्ट्रोन एसीटट इंजैक्शन- गर्भ को ठहरने से रोकने में अभी तक मेडरोक्सी प्रोजेस्ट्रोन एसीटट इंजैक्शन पूरी तरह सफल साबित नहीं हुआ है। हर स्त्री को 3 महीने में एक बार इसे लगवाना पड़ता है। प्राकृतिक तरीका-कैलेंडर-विधि- स्त्री को अपने मासिकस्राव के दिनों की गिनती मासिकस्राव आने के पहले दिन से दूसरा मासिकस्राव आने के पहले दिन तक गिनें। इस प्रक्रिया को लगभग 6 महीने तक चालू रखें। अब अपने जब मासिकस्राव सबसे कम समय में आया हो उतने दिनों में से 11 दिन घटाकर अपना पहला असुरक्षित दिन पता कर सकती है और सबसे लंबे मासिकस्राव आने के समय में से 11 दिन घटाकर अपना आखिरी असुरक्षित दिन ज्ञात कर सकती है।
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