गर्भ का ताकतवर होना
Garbh Ka Takatvar Hona
1. तिल: धुले हुए तिल और जौ 20-20 ग्राम की मात्रा में कूटछानकर इसमें लगभग 40 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसकी 5 ग्राम की मात्रा सुबह शहद के साथ सेवन करने से गर्भ सुदृढ़ होता है।
2. पीपल: पीपल की जटा, समुद्रफल और सालम मिश्री सभी को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर तीन दिनों तक सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। इससे गर्भाशय पुष्ट हो जाता है और गर्भवती महिला को कोई दर्द नहीं होता है।
3. बेलगिरी: बेलगिरी 20 ग्राम को चावलों के धोवन में पीसकर उसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से गर्भवती स्त्री को उल्टी, पतले दस्त, मीठा-मीठा बुखार चढ़ना, हाथ-पैरों की थकावट होना आदि सभी विकार दूर हो जाते हैं।
4. मुलेठी: गर्भाशय शिशु सूखता जा रहा हो तो ऐसी अवस्था में गंभारी फल, मुलेठी और मिश्री को समान मात्रा 15-20 ग्राम मात्रा को सुबह-शाम दूध में उबालकर नियमित गर्भवती महिला को पिलाना चाहिए।
5. गर्भाशय की कमजोरी: गर्भ नहीं ठहरता हो या गर्भस्राव हो जाता हो तो ऐसी स्थिति में कुछ हफ्ते ताजे सिंघाड़े खाने से लाभ होता है। सिंघाड़े की लपसी गर्भवती स्त्री को दिन में दो से तीन बार दूध के साथ देने से रक्तस्राव रुक जाता है जिससे गर्भाशय की कमजोरी दूर हो जाती है।
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